वट सावित्री पर मां जो यह कथा सुनाती थी मुझे बहुत ही अच्छा लगता था अपनी मां के पास बैठ कर यह कथा सुनना।
घर आने के बाद पुत्र ने पिता के समक्ष यह बात बताई कि वो उस धोबिन बेटी सोमा से विवाह करना चाहता है। माता पिता दोनों ही अपने छह पुत्रों की मृत्यु के बाद भयभीत थे वो नहीं चाहते थे कि छोटे बेटे का विवाह हो क्योंकि विवाह उपरान्त ही छहों बेटों की मृत्यु हुई थी। परन्तु छोटा बेटा यह जानता था कि वो कन्या परम विदुषी है।
माता पिता भी इस विवाह के लिए अपने बेटे की जिद्द के आगे मान गए। विवाह से पहले ही ब्राह्मण पुत्र ने अपने छहों भाई की मृत्यु का वृतांत सुना दिया।
संयोग से जिस दिन विवाह उपरान्त वो दोनों नव दुल्हा दुल्हन आ रहे थे वो दिन जेठ की अमावश्या थी और गाँव की सारी औरतें उस वट वृक्ष जहाँ ब्राहम्ण के छहों बेटों की मृत्यु हुई थी उस वृक्ष की पूजा कर वहाँ जल अर्पित कर रही थी।
जब सोमा ने देखा तो उसने अपने पति से कहा आप यहाँ वृक्ष के नीचे विश्राम कीजिये मैं भी यह पूजा करूंगी। जैसे ही नागिन ने देखा ब्राहम्ण के छोटे बेटे को तो उसकी मनोकामना मानों पूरी हो गई। वो नागिन पेड़ से जब तक उतरती नाग जो कि वहीं था ब्राह्मण पुत्र को डसने के लिए जैसे ही उसके समीप आया।
धोबिन की बेटी सोमा ने उस नाग को मुट्ठी में पकड़ जल वाले लोटे में डाल आलथी पालथी मार उस लोटे को अपने जाँघ से दबा लिया। यह देख नागिन के प्राण सूख गए वो सोमा से विनती करने लगी मेरे सुहाग को छोड़ दो। सोमा ने कहा पहले मेरे छहों जेठ के प्राण वापिस दो तभी मैं तुम्हारा सुहाग वापस दूँगी।
नागिन ने पूरी बात बताई कि क्यों उसने उसके सभी जेठ के प्राण लिए किस तरह उसकी सास ने उसे निःसन्तान किया था। सोमा ने अपनी सास की तरफ से माफी माँगते हुऐ कहा अब हम विशेष ध्यान रखेंगे कभी गरम माड़ किसी बिल के आसपास नहीं फैकेंगे।
नागिन ने अपने नाग के प्राण बचाने के लिए ब्राहम्ण के छहों बेटों को पुनः जीवित कर दिया और सोमा ने भी नाग को छोड़ दिया। इस तरह उस धोबिन की बेटी सोमा ने अपनी सूझबूझ से अपना सुहाग भी बचा लिया और अपनी छहों जैठानियों का सुहाग भी पुनः प्राप्त हो गया। उसने अपनी चतुरता से ऊजडे़ हुऐ घर को फिर बसा लिया।
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कविता झा
(वटसावित्री की मैथिली कथा का हिन्दी अनुवाद )
Radhika
09-Mar-2023 01:06 PM
Nice
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shweta soni
04-Mar-2023 09:30 PM
बेहतरीन रचना
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अदिति झा
20-Nov-2022 06:17 PM
शानदार
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